वो चेहरा कहीं न मिलता है ,
वो शायद अल्लाह को प्यारी थी ,
जो जन्नत उनको बुला लिया ,
अब कैसे भला जी पाएंगे ?
वो चेहरा कभी न आएगा ,
मुस्कान तो उनकी ऐसी थी ,
जो दिल को ही छू जाती थी ,
खुदा को अक्सर जाने क्यों ,
जल्दी रहती है बुलाने की ,
दर्द क्यूँ इतना होता है ?
जब अपना कोई गुजरता है ,
आँखों में आँशु आते है ,
जज्बातो को कह जाते है ,
सुनने वाले न मिलते है ,
बहरे सभी हो जाते है ,
बहनो की बात करुँ मैं तो ,
सब अंधे बेहरे दिखते है ,
इन्साफ है डोडो चिड़िया सा ,
बहनो की खातिर न मिलता ,
बहनो की कितनी कीमत है ,
अब देश में ये तो दिखता है ,
सरकार अपाहिज मेरी है ,
जो पैसो पर ही बिकती है ,
धरती से फलक तक देख लिया,
बहनो की खातिर कोई नहीं..........
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